चन्द्रयान-2 मिशन को सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र (एस डी एस सी), श्रीहरिकोटा से दिनांक 22 जुलाई, 2019 को 14:43 घंटे जी एस एल वी- मार्क-III एम1 द्वारा सफलतापूर्वक प्रमोचित किया गया । क्रमिक भू-बद्ध युक्तिचालन के बाद, उपग्रह ने दिनांक 14 अगस्त, 2019 को चन्द्र अंतरण प्रक्षेप पथ (एल टी टी) में प्रवेश किया । दिनांक 20 अगस्त, 2019 को चन्द्र कक्षा निवेशन (एल ओ आई) का युक्तिचालन किया गया, इसके द्वारा चन्द्रयान-2 को चन्द्रमा की दीर्घवृत्तीय कक्षा में स्थापित किया गया । इसके बाद, कई चन्द्रबद्ध कक्षा युक्तिचालनों द्वारा इसकी कक्षा को कम करते हुए इसे चन्द्र के आस-पास वृत्ताकार ध्रुवीय कक्षा में स्थापित किया गया । और अधिक जानें
चन्द्र सतह पर मृदु अवतरण व भ्रमण करने सहित छोर-से-छोर तक चन्द्र मिशन की क्षमता के लिए महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों का विकास और प्रदर्शन करना ।
चन्द्र की उत्पत्ति और विकास को और बेहतर समझने के लिए स्थलाकृति, खनिजिकी, सतह के रासायनिक संयोजन, ताप-भौतिकी अभिलक्षण और विरल चन्द्र वायुमण्डल के विस्तृत अध्ययन द्वारा चन्द्रमा के बारे में वैज्ञानिक जानकारी को बढ़ाना ।
चन्द्रयान-2 के वैज्ञानिक नीतभारों का उद्देश्य चन्द्रमा की स्थलाकृति, भूकम्प-लेखन, खनिज की पहचान व वितरण, सतह के रासायनिक संयोजन, ऊपरी मृदा के ताप-भौतिकी अभिलक्षण और विरल चन्द्र वायुमण्डल की संघटना का विस्तृत अध्ययन करना है । और अधिक जानें
चन्द्रयान-2 ब्रोशर जिसमें, हम चन्द्रमा पर क्यों जा रहे हैं, इसका उडान अनुक्रम, जीएसएलवी मार्क-III, मिशन अनुक्रम, चन्द्रयान-2 संयुक्त मॉड्यूल, आर्बिटर, लैंडर, रोवर और मिशन नीतभार से संबंधित जानकारी दी गई है यहाँ उपलब्ध हैं
चंद्रयान -2 मिशन के CLASS, CHACE-2, XSM, IIRS, TMC-2, OHRC, DFRS और DFSAR पेलोड के विभिन्न चरणों से प्राप्त डेटा को प्रोसेसिंग स्तर की परिभाषाओं के अनुसार संसाधित किया जाता है और ग्रहीय डेटा प्रणाली (पीडीएस) मानक में प्रदान किया जाता है Access here